Saturday, June 25, 2011

आलोचना रै आंगणै

हनुमानगढ़। राजस्थानी साहित्यकार व आलोचक डॉ. नीरज दइया की सद्य प्रकाशित आलोचना ग्रन्थ “आलोचना रै आंगणै” पर जंक्शन स्थित दुर्गा मंदिर धर्मशाला में आयोजित संगोष्ठी में साहित्यकारों,भाषा प्रेमियों,फेसबुक मित्रों में व्यापक चर्चा हुई। वरिष्ठ कवि ओम पुरोहित कागद ने “आलोचना रै आंगणै” का परिचय देते हुए बताया कि भाषा री खिमता नै तोलण री ताकड़ी है कविता। अर कविता री खिमता नै तोलण री ताकड़ी है आलोचना। राजस्थानी में आलोचना री एक सांतरी पोथी है । यह कृति राजस्थानी साहित्य आलोचना को नए आयाम देगी । वरिष्ठ साहित्यकार नरेश विद्यार्थी ने कहा कि राजस्थानी साहित्य में समग्र आलोचना का अब तक अभाव रहा है। डॉ. दइया कि यह कृ ति इस अभाव को दूर करने में सक्षम साबित होगी। राजस्थानी मोट्यार परिषद् के जिलाध्यक्ष अनिल जांदू ने कहा कि आलोचना साहित्य को व्यापक दृष्टि प्रदान करती है तथा साहित्यकार को आत्मावलोकन का अवसर भी देती है। आलोच्य कृति आलोचना के प्रतिमानों का अनुसरण कर राजस्थानी साहित्य कि परख करती नजर आती है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में संगोष्ठी-अध्यक्षता कर रहे डॉ. नीरज दइया ने कहां कि आलोचक तटस्थ दृष्टि से साहित्य का अध्ययन कर परख करता है। इस प्रक्रिया में वह साहित्यक एवम सामाजिक सरोकारों कि तराजू में सृजन का अवलोकन करता है तथा अपनी दृष्टि से टीप प्रस्तुत करता है। इस प्रक्रिया में उसकी व्यक्तिगत सल्ग्नता मायने नहीं रखती । मेनें आलोच्य कृति में आलोचना के उक्त प्रतिमानों का निष्पक्षता पूर्वक वर्णन किया है। उपस्थित सभी मित्रों ने साहित्यकार डॉ नीरज दइया को पुष्प भेंट कर अभिनन्दन किया साथ ही “आलोचना रै आंगणै” पर विस्तृत चर्चा कर सराहना की गई। इस अवसर पर राजू रामगढ़िया ,रणधीर मूंड,रामनिवास मांडण,रविन्द्र धारणियां(शेरेकां),सुरेन्द्र गोदारा,दीपक मुंड,हरदीप सिंह,कुमार विश्वाश आदि उपस्थित थे।






‘आलोचना रै आंगणै’- डॉ. नीरज दइया

फेसबुक पर पोथी-चर्चा

Satyanarayan Soni's Photos - Wall Photos-

भाषा री खिमता नै तोलण री ताकड़ी है कविता। अर कविता री खिमता नै तोलण री ताकड़ी है आलोचना। राजस्थानी में आलोचना री एक सांतरी पोथी आई है- ‘आलोचना रै आंगणै’। लेखक- डॉ. नीरज दइया/ पैलो संस्करण- मई, 2011/ बोधि प्रकाशन, एफ-77, सेक्टर 9, रोड नं. 11, करतारपुरा इंडस्ट्रियल एरिया, बाईस गोदाम, जयपुर-302006/ मोल-150 रिपिया।


    • Deshraj Charan ji hukum
      19 June at 11:27 ·  ·  2 people

    • Sataydeep Bhojak jarur kharid ke padhsya
      19 June at 16:54 ·  ·  2 people

    • Kanhaiya Prajapati jaroor padhsyan sa soni ji.
      20 June at 09:49 ·  ·  1 person

    • Nand Bhardwaj Rajasthani Aalochana re likhai santaro ar ullekh-jogo kaam! Neeraj ne ghani ghani badhai.
      20 June at 12:33 ·  ·  3 people

    • Vinod Saraswat 
      भाई नीरज री आलोचना पोथी "आलोचना रे आंगणे" पढ़ी. पोथी री छपाई अर कलेवर सांतरो है तो कागद भी आछो लगायो है. केई ठोड प्रूफ री गलतिया जरूर रेयगी. पण मोटामोट पोथी सरावण जोग है. राजस्थानी रे समूचे साहित्य री कपट छाण तो हरेक रे बस री बात कोनी. अर भाई नीरज रो धे भी ओ रेयो कोनी. म्हने आ पोथी जिस्सी लागी अर म्हारे डोळ सारु दो हरफ लिखने री मनसा मन में उपजी वा आप लोगा रे निजर है.
      राजस्थानी री मूळ थाती कविता माथे इण पोथी माय भोत कम पळकों नाख्यो है. अर फगत आधुनिक कविता रे नाव माथे परम्परागत कविता, छंद बध कविता, डींगळ कविता अर मंच रा कविया री कवितावा जिक्की आज भी लोगा रे मन में गूंजे अर हिये में बसे. वाऱी एकदम रांत ही काट दी! वा कविया रो नाव-निसाण ही इण पोथी में कोनी तद इण टॉप-टेन कविया री सूचि माथे कित्तोक भरोसो करयो जा सके?
      आ सागी ही रामाण कहाणी रे बारे में केई जा सके. अठे भी ठावा-ठावा ऩे टॉप अर बाकी रा ऩे लंगोट री तरज माथे आलोचना रे पेटे जिकी ताकड़ी री जरूत ही उण माय माय भी कठेई काण लागे तो कठेई धड़े में खोट साफ़ देख्यो जा सके.
      उपन्यास माय भी केई ठोड तो प्रेसर नापण में भोत कंजूसी बरतीजी है. तो केई ठोड घणी ढील भी देय दी है. जिक्की आलोचना रे माय सराई कोनी जा सके. केई ठोड रचनावा रे रचाव भाषा अर शिल्प माथे जिक्का छूंत ऩे छोड़ा उतारया है. वे सिरजणहार सारु घणा काम रा है. अर सरावण जोग है इण आलोचना रे पेटे यादवेन्द्र शर्मा जी रे उप्न्यासा माथे करीजी टीप ऩे दिरीजी जाणकारी घणी सरावणी है. आदरजोग संस्करताजी रे साहित्य री समुली जाण भी पाठका रे सामी आयी है. एक पोथी रे माय समुले राजस्थानी साहित्य री कूंत ऩे कपट छाण सोरी कोनी. न्यारी-न्यारी विद्यावा री न्यारी आलोचना पोथी सामी आवे तो घणों जसजोग काम हु सके. आलोचना रो काम घणों टेढो है. इण में साचो न्याव करण सारु ताकड़ी अर बाट दोवु साचा हुवणा जरुरी है. जिण सू सांच ऩे कोई आंच नी लाग सके. छोटी सी काण इण माथे आंगली उठा सके. सगलो कातयो-पीन्ज्यो कुपास हु सके. फेर भी आपरी इण पोथी रो राजस्थानी जगत में स्वागत है.


      20 June at 16:13 ·  ·  2 people

    • Raj Bijarnia Gurudev ki jay ho.!
      20 June at 16:22 ·  ·  1 person

    • Chainsingh Shekhawat badhai sa neeraj ji...
      20 June at 17:26 ·  ·  2 people

    • Atul Kanakk mehtaao pothhi chhai sa!
      20 June at 20:00 ·  ·  2 people

    • Narendra Vyas moklee-moklee badhai neeraj ji sa ! haal taai mharo padhan saroo saubhagya nee milyo sa...! mhe nee jaanu hoon ke kathe milsee? aap batado to ghano aabhar hosee sa ! feroon moklee badhai sa !
      20 June at 23:24 ·  ·  2 people

    • चड्ढ़ा Rajesh Chadha राजेश नीरज जी बधाई, गंभीर पाठक जका राजस्थानी अ’र हिंदी रा है..ब’ दशक रै नज़रिए स्यूं पढ़ै तो बात है....अन्यथा तो..कुतर्किया नै तो बात करणी ही है.... भाया पढ़णो भो’त दो’रो है..... बहस में नाम दर्ज़ करावण मांय .. कोई ज़ोर कोनी आवै... परंपरा स्यूं बात...प्रगति तक आवै.... ब’ सारी बात...इण पोथी मांय आलोचना री दीठ स्यूं क’र आप आधारभूत काम करयो है...एक’र फ़ेरूं स्वागत अ’र शुभकामनावां..
      20 June at 23:29 ·  ·  2 people

    • Mahendra Ranga Neerj bhai kitab re nam me sngeet he . Aapne ghani badhai,
      20 June at 23:42 ·  ·  2 people

    • Mohan Thanvi भाई नीरज जी नै घणा घणा रंग।
      21 June at 08:44 ·  ·  3 people

    • Chandan Singh Bhati ghani chokhi bat
      21 June at 09:59 ·  ·  2 people

    • Deendayal Sharma Nuee pothi...Aalochna rai aangnai..ri hiye su badhaee...
      21 June at 18:53 ·  ·  2 people

    • Om Purohit Kagad 
      आपां सावळ पड़ताळ करां तो साव लखासी कै दूजी भारतीय भाषावां रै मुकाबलै राजस्थानी साहित्य मेँ अलोचना रो खांचो इत्ता दिन खाली सो-क ई हो ! कुं.चंद्रसिंह बिरकाळी लेय'र पारस अरोड़ा तक रा कवियां राजस्थानी कविता नै अर नृसिंह राजपुरोहित सूं लेय'र सांवर दइया ताईं रा राजस्थानी गद्यकारां आधुनिकता रा गाभा पैराया पण राजस्थानी आलोकना डा.किरण नाहटा रै शोधग्रंथ सूं आगै नी बधी जे बी.एल.माळी रै हाथां भळै पांगरी अर नंद भारद्वाज रै हाथां संवरी तो मरजी रै मालकां रै दाय नीँ आई !
      डा.कुंदन माळी, डा. अर्जुनदेव चारण, डा.रमेश मयंक, डा. श्याम सुन्दर भारती भी आलोचना मेँ पग दिया पण सांगोपांग रुप्या नीँ ।
      आजादी रै बाद राजस्थानी अकूत साहित्य सिरजीज्यो पण उण री समूळ अर सावळ कूंत ई नीँ होई ! फुटकर आलोचना तो घणी ई होई । पत्रिकावां मेँ आलोचना लेख छप्या अर साहित्यिक गोठां मेँ परचा पढीज्या । पत्रिकावां रा लेख आप आप रा धड़ैबन्ध री थापना रै मिस लिखिज्या । गोठां रा परचा अरथाऊ वाह वाही सारु पढीज्या । भळै आं परचां मेँ आप आप रा नाम जुड़ावण री भोळा साहित्यकारां री होड ! बस , आं बातां रै ऐड़ गेड़ ई रैई राजस्थानी साहित्य री आलोचना ! राजस्थानी साहित्य रा काल विभाज, विधागत बदळाव -बिगसाव-दशा-दिशा, परवरत्यां, सरोकार अर बदळता प्रतिमानां री थापना माथै काम ई नीँ होयो । और तो और राजस्थानी साहित्य रो सावळसर इतिहास ई नीँ लिखीज्यो । डा. नीरज दइया री इण आलोचना पोथी नै मान मिलणो ई चाईजै क्यूं कै इण पोथी राजस्थानी साहित्य मेँ आलोचना रा ठावका दरूजा खोल्या है । राजस्थानी साहित्य नै ऐक निरवाळी दिशा दी है । आ पोथी आगै री आलोचना सारु च्यानणोँ करसी जकै री खासा दरकार ही । नीरज री इण पोथी मेँ कम्यां हो सकै पण नीत मेँ खोट नी । कोई खड़यंतर नीँ ! आज तक घणकरी राजस्थानी आलोचना मेँ नीत रै खोट री बात होँवती ही , अब ईमानदारी री बात चालसी ! आज ताईँ थरपीज्यैड़ै कूड़ रै टूटण रा चरड़का भी सुणीजसी !


      21 June at 22:24 ·  ·  11 people

    • Narendra Vyas Om ji ra vichar padh'r keen karan ree himmat jag ree hai..! mayad bhasa saroo bot keen karan ro chaav kulmula riyo hai...! omji a'r neeraj ji ne jitton bhee nivan karaan, kam ee husee..! naman !
      21 June at 22:31 ·  ·  2 people

    • Anurag Kashyap 
      kisi bhi aalochna ka koi aadi ant nahi hota. koi bhi samgra nahi hoti. saare log to barsaat se bhi raaji nahi hote. har jagh jab khemebaaji ho rahi ho to sahitya isse kaise achhuta rah sakta hai. neeraj ji ki yeh aalochna pustak rajasthani aalochna chhetra me sahyaak sidh ho sakti hai. lekin ise hi sab kuchh maan lena jaldbaazi hogi. uper vinod ji ne kai sawaal khade kiye hai to unkaa bhi jawaab neeraj ji khud de to achha rahega. rajasthani fale-fule aisi aasha rakhta hoon.


      Wednesday at 00:17 ·  ·  3 people

    • Neeraj Daiya 
      सबसूं पैली तो म्हारी पोथी बाबत इण चरचा सारू घणो आभार। मानीता सर्वश्री नंद भारद्वाज, ओम पुरोहित कागद, राजेश चढ्ढा, अतुल कनक, सत्यदीप, विनोद सारस्वत, नरेंद्र व्यास, दीनदयाल शर्मा, महेंद्र रंगा, चैनसिंह शेखावत, मोहन थानवी, जे एस परमार, रवि पुरोहित, मदनगोपाल लढा अर पृथ्वी आद रा नांव लिखतां थका ई केई नाम छूटग्या है... म्हारो मानणो है कै आलोचना कोई सूची-पत्र कोनी हुया करै कै सगळा रचनाकारां रा नांव आवै। आ म्हारी कोई छेहली पोथी ई कोनी, म्हैं कोई इण में कठैई कोई दावो ई कोनी कर्‌यो। जिको काम रैयग्यो बो आगै करूंला, म्हारा मानीता बीजा रचनाकार आलोचक करैला। अनुराग जी रै कैयां सूं म्हैं भाई विनोद सारस्वत सूं अरज करूला कै बै बां रै मानदंड़ा माथै जिकी कोई साव खरी पोथी है उण रो नांव लिखै.... आजादी पछै री नुंवी कविता माथै बात करां तद उण मांय घणी बातां छूट जावै..परंपरागत कविता पेटै किणी बीजै आलेख में लिखीजैला.. अर केई आलेख रचनाकारां उण बाबत लिख्या ई है.... किणी एक पोथी मांय स्सौ कीं नीं आय सकै पण अठै आलोचना रा विविध प्रकार अर आधुनिक साहित्य माथै एक समूळी दीठ री बानगी मिलैला। उम्मीदां तो घणी घणी है पण बां नै बगत आया हरेक रचनाकार आप आप रै तरीकै सूं पूरी करैला.. म्हारी कठैई कठैई सींव आपनै दीसैला तो केई जागां घणी घणी संभावनावां ई निगै आवैला.... अर छेकड़ मांय आलोचना लिखणो तो मोमाख्यां रै छातै मांय हाथ घालण जियां हुवै... राजी तो गिणती रा रचनाकार हुवै अर नाराजगी (जिकी कै नीं हुवणी चाइजै) अणथाग मिलै... पण जिको कीं आप लिख्यो उण माथै म्हैं घणी सावचेती सूं विचार करूंला।


      Wednesday at 07:31 ·  ·  8 people

    • Manoj Kumar Swami राजस्थानी आलोचना री गिणती री पोथ्यां है अर बां में आ जोरदार पोथी है, बधाई। ओमजी गुरुजी री बात साव साची है कै "आज तक घणकरी राजस्थानी आलोचना मेँ नीत रै खोट री बात होँवती ही, अब ईमानदारी री बात चालसी ! आज ताईँ थरपीज्यैड़ै कूड़ रै टूटण रा चरड़का भी सुणीजसी !"
      Wednesday at 16:53 ·  ·  3 people

    • Satyanarayan Soni मनोज कुमार जी, आपरी बात सूं मैं भी सौ फीसदी सहमत हूँ.. पोथी हाल बांच रियो हूँ.... नीरज जी, चर्चा हाल लम्बी चालसी.. लारला कई दिनां सूं कई कामां में बेओसाण हूँ... म्हारी बात भी आसी ...
      Wednesday at 17:23 ·  ·  3 people

    • Navneet Pandey पोथी रो कवर गज़ब है, राजस्थानी में आलोचना री दशा री साख भरतो. पोथी भण रैयो हूं
      Wednesday at 19:35 ·  ·  3 people

    • Praveen D. Jain niraj ji daiya ne mokli mokli bhadhai
      Wednesday at 21:17 ·  ·  2 people

डॉ. नीरज दइया की प्रकाशित पुस्तकें :

हिंदी में-

कविता संग्रह : उचटी हुई नींद (2013), रक्त में घुली हुई भाषा (चयन और भाषांतरण- डॉ. मदन गोपाल लढ़ा) 2020
साक्षात्कर : सृजन-संवाद (2020)
व्यंग्य संग्रह : पंच काका के जेबी बच्चे (2017), टांय-टांय फिस्स (2017)
आलोचना पुस्तकें : बुलाकी शर्मा के सृजन-सरोकार (2017), मधु आचार्य ‘आशावादी’ के सृजन-सरोकार (2017), कागद की कविताई (2018), राजस्थानी साहित्य का समकाल (2020)
संपादित पुस्तकें : आधुनिक लघुकथाएं, राजस्थानी कहानी का वर्तमान, 101 राजस्थानी कहानियां, नन्द जी से हथाई (साक्षात्कार)
अनूदित पुस्तकें : मोहन आलोक का कविता संग्रह ग-गीत और मधु आचार्य ‘आशावादी’ का उपन्यास, रेत में नहाया है मन (राजस्थानी के 51 कवियों की चयनित कविताओं का अनुवाद)
शोध-ग्रंथ : निर्मल वर्मा के कथा साहित्य में आधुनिकता बोध
अंग्रेजी में : Language Fused In Blood (Dr. Neeraj Daiya) Translated by Rajni Chhabra 2018

राजस्थानी में-

कविता संग्रह : साख (1997), देसूंटो (2000), पाछो कुण आसी (2015)
आलोचना पुस्तकें : आलोचना रै आंगणै(2011) , बिना हासलपाई (2014), आंगळी-सीध (2020)
लघुकथा संग्रह : भोर सूं आथण तांई (1989)
बालकथा संग्रह : जादू रो पेन (2012)
संपादित पुस्तकें : मंडाण (51 युवा कवियों की कविताएं), मोहन आलोक री कहाणियां, कन्हैयालाल भाटी री कहाणियां, देवकिशन राजपुरोहित री टाळवीं कहाणियां
अनूदित पुस्तकें : निर्मल वर्मा और ओम गोस्वामी के कहानी संग्रह ; भोलाभाई पटेल का यात्रा-वृतांत ; अमृता प्रीतम का कविता संग्रह ; नंदकिशोर आचार्य, सुधीर सक्सेना और संजीव कुमार की चयनित कविताओं का संचयन-अनुवाद और ‘सबद नाद’ (भारतीय भाषाओं की कविताओं का संग्रह)

नेगचार 48

नेगचार 48
संपादक - नीरज दइया

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"

स्मृति में यह संचयन "नेगचार"
श्री सांवर दइया; 10 अक्टूबर,1948 - 30 जुलाई,1992

डॉ. नीरज दइया (1968)
© Dr. Neeraj Daiya. Powered by Blogger.

आंगळी-सीध

आलोचना रै आंगणै

Labels

101 राजस्थानी कहानियां 2011 2020 JIPL 2021 अकादमी पुरस्कार अगनसिनान अंग्रेजी अनुवाद अतिथि संपादक अतुल कनक अनिरुद्ध उमट अनुवाद अनुवाद पुरस्कार अनुश्री राठौड़ अन्नाराम सुदामा अपरंच अब्दुल वहीद 'कमल' अम्बिकादत्त अरविन्द सिंह आशिया अर्जुनदेव चारण आईदान सिंह भाटी आईदानसिंह भाटी आकाशवाणी बीकानेर आत्मकथ्य आपणी भाषा आलेख आलोचना आलोचना रै आंगणै उचटी हुई नींद उचटी हुई नींद. नीरज दइया उड़िया लघुकथा उपन्यास ऊंडै अंधारै कठैई ओम एक्सप्रेस ओम पुरोहित 'कागद' ओळूं री अंवेर कथारंग कन्हैयालाल भाटी कन्हैयालाल भाटी कहाणियां कविता कविता कोश योगदानकर्ता सम्मान 2011 कविता पोस्टर कविता महोत्सव कविता-पाठ कविताएं कहाणी-जातरा कहाणीकार कहानी काव्य-पाठ किताब भेंट कुँअर रवीन्द्र कुंदन माली कुंवर रवीन्द्र कृति ओर कृति-भेंट खारा पानी गणतंत्रता दिवस गद्य कविता गली हसनपुरा गवाड़ गोपाल राजगोपाल घिर घिर चेतै आवूंला म्हैं घोषणा चित्र चीनी कहाणी चेखव की बंदूक छगनलाल व्यास जागती जोत जादू रो पेन जितेन्द्र निर्मोही जै जै राजस्थान डा. नीरज दइया डायरी डेली न्यूज डॉ. अजय जोशी डॉ. तैस्सितोरी जयंती डॉ. नीरज दइया डॉ. राजेश व्यास डॉ. लालित्य ललित डॉ. संजीव कुमार तहलका तेजसिंह जोधा तैस्सीतोरी अवार्ड 2015 थार-सप्तक दिल्ली दिवाली दीनदयाल शर्मा दुनिया इन दिनों दुलाराम सहारण दुलाराम सारण दुष्यंत जोशी दूरदर्शन दूरदर्शन जयपुर देवकिशन राजपुरोहित देवदास रांकावत देशनोक करणी मंदिर दैनिक भास्कर दैनिक हाईलाईन सूरतगढ़ नगर निगम बीकानेर नगर विरासत सम्मान नंद भारद्वाज नन्‍द भारद्वाज नमामीशंकर आचार्य नवनीत पाण्डे नवलेखन नागराज शर्मा नानूराम संस्कर्ता निर्मल वर्मा निवेदिता भावसार निशांत नीरज दइया नेगचार नेगचार पत्रिका पठक पीठ पत्र वाचन पत्र-वाचन पत्रकारिता पुरस्कार पद्मजा शर्मा परख पाछो कुण आसी पाठक पीठ पारस अरोड़ा पुण्यतिथि पुरस्कार पुस्तक समीक्षा पुस्तक-समीक्षा पूरन सरमा पूर्ण शर्मा ‘पूरण’ पोथी परख प्रज्ञालय संस्थान प्रमोद कुमार शर्मा फोटो फ्लैप मैटर बंतळ बलाकी शर्मा बसंती पंवार बातचीत बाल कहानी बाल साहित्य बाल साहित्य पुरस्कार बाल साहित्य समीक्षा बाल साहित्य सम्मेलन बिणजारो बिना हासलपाई बीकानेर अंक बीकानेर उत्सव बीकानेर कला एवं साहित्य उत्सव बुलाकी शर्मा बुलाकीदास "बावरा" भंवरलाल ‘भ्रमर’ भवानीशंकर व्यास ‘विनोद’ भारत स्काउट व गाइड भारतीय कविता प्रसंग भाषण भूमिका मंगत बादल मंडाण मदन गोपाल लढ़ा मदन सैनी मधु आचार्य मधु आचार्य ‘आशावादी’ मनोज कुमार स्वामी मराठी में कविताएं महेन्द्र खड़गावत माणक माणक : जून मीठेस निरमोही मुकेश पोपली मुक्ति मुक्ति संस्था मुरलीधर व्यास ‘राजस्थानी’ मुलाकात मोनिका गौड़ मोहन आलोक मौन से बतकही युगपक्ष युवा कविता रक्त में घुली हुई भाषा रजनी छाबड़ा रजनी मोरवाल रतन जांगिड़ रमेसर गोदारा रवि पुरोहित रवींद्र कुमार यादव राज हीरामन राजकोट राजस्थली राजस्थान पत्रिका राजस्थान सम्राट राजस्थानी राजस्थानी अकादमी बीकनेर राजस्थानी कविता राजस्थानी कविता में लोक राजस्थानी कविताएं राजस्थानी कवितावां राजस्थानी कहाणी राजस्थानी कहानी राजस्थानी भाषा राजस्थानी भाषा का सवाल राजस्थानी युवा लेखक संघ राजस्थानी साहित्यकार राजेंद्र जोशी राजेन्द्र जोशी राजेन्द्र शर्मा रामपालसिंह राजपुरोहित रीना मेनारिया रेत में नहाया है मन लघुकथा लघुकथा-पाठ लालित्य ललित लोक विरासत लोकार्पण लोकार्पण समारोह विचार-विमर्श विजय शंकर आचार्य वेद व्यास व्यंग्य व्यंग्य-यात्रा शंकरसिंह राजपुरोहित शतदल शिक्षक दिवस प्रकाशन श्याम जांगिड़ श्रद्धांजलि-सभा श्रीलाल नथमल जोशी श्रीलाल नथमलजी जोशी संजय पुरोहित संजू श्रीमाली सतीश छिम्पा संतोष अलेक्स संतोष चौधरी सत्यदेव सवितेंद्र सत्यनारायण सत्यनारायण सोनी समाचार समापन समारोह सम्मान सम्मान-पुरस्कार सम्मान-समारोह सरदार अली पडि़हार संवाद सवालों में जिंदगी साक्षात्कार साख अर सीख सांझी विरासत सावण बीकानेर सांवर दइया सांवर दइया जयंति सांवर दइया जयंती सांवर दइया पुण्यतिथि सांवर दैया साहित्य अकादेमी साहित्य अकादेमी पुरस्कार साहित्य सम्मान सीताराम महर्षि सुधीर सक्सेना सूरतगढ़ सृजन कुंज सृजन संवाद सृजन साक्षात्कार हम लोग हरदर्शन सहगल हरिचरण अहरवाल हरीश बी. शर्मा हिंदी अनुवाद हिंदी कविताएं हिंदी कार्यशाला होकर भी नहीं है जो